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Channel: गोठ बात Archives - gurtur goth
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अक्षय तृतीया विशेष : पुतरी पुतरा के बिहाव

हिन्दू धर्म में बहुत अकन तिहार मनाये जाथे । ये तिहार हा मनखे मे नवा जोश अउ उमंग पैदा करथे । आदमी तो रोज काम बुता करत रहिथे फेर काम ह कभू नइ सिराय । येकर सेती हमर पूर्वज मन ह कुछ विशेष तिथि ल तिहार के...

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पुण्य सकेले के दिन आय अक्ती

हमर देस मा तिहार मनाय के परंपरा आदिकाल से चले आवत हे। भगवान ले मनौती करेबर, अशीस पायबर अउ मनौती पूरा होय के धन्यवाद देयबर तिहार मनाय जाथे। अइसने एक समिलहा तिहार बइसाख महिना के तीज के दिन मनाय जाथे जौन...

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अक्ती तिहार

छत्तीसगढ़ म हर तिहार ल हमन सुघ्घर रूप ले मनाथन। तिहार ह हमर घर, परिवार, समाज अउ संसकिरिती म रचे-बसे हावय जेखर कारन येखर हमर जीनगी म अब्बडेच़ महत्तम हे। तिहार ह हमर खुसी उत्साह के परतीक हावय जेला हमन सबो...

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आमा खाव मजा पाव

गरमी के मौसम आते साठ सब झन ला आमा के सुरता आथे।लइका मन ह सरी मंझनिया आमा टोरे ला जाथे , अऊ घर में आ के नून – मिरचा संग खाथे।लइका मन ला आमा चोरा के खाय बर बहुत मजा आथे।मंझनिया होथे तहान आमा बगीचा मा आमा...

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लमसेना प्रथा चालू करव

आज मँय एक ठन अलकरहा गोठ करेबर जात हँव। आजकल हमर देस, प्रांत सबो डहर एकेच गोठ सुनेबर मिलथँय कि बहूमन अपन सास ससुर ला अबड़ तपथँय दुख देथँय। एहा समाजिक समस्या बनत जावत हावय। सास ससुर मन सियान होय के पाछू...

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सुरता मा जुन्ना कुरिया

पच्चीस बच्छर बीत गे हावय। हमर आठ खोली के घर के नक्सा नइ बदलिस। चारो मुड़ा खोली अउ बीच मा द्वार। एक खोली ले बाड़ी डहर जाय के रद्दा। पच्चीस बच्छर पहिली कुवाँर कातिक मा ये नवा घर ला नत्ता गोत्ता संग मिलके...

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दिनेश चौहान के आलेख –कबीर जयंती बर विशेष : जन-मन म बसे कबीर

हिन्दी साहित्य के अकास म आज ले लगभग सवा छै सौ साल पहिली एक अइसे नक्षत्र के उदय होय रिहिस जेला हमन कबीरदास के नाँव ले जानथन। कबीरदास जी कवि ले बढ़के एक समाज सुधारक रिहिन। जउन सोझ-सोझ अउ खर भाखा म बात...

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दुसर के दुख ला देख : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा ! दुसर के दुख ला देख रे! फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। काबर उमन कहय के दुसर के दुख ला देख। संगवारी...

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कबीरदास कोन ? एक भक्त , समाज सुधारक या एक रहस्यवादी जन कवि

हमर देस राज म साहित्य बैदिक काल ले आज तलक समरिध हावय चाहे वो जब हिंदी भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान साकुंतलम होवय।...

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चंदैनी गोंदा, रामचंद्र देशमुख, लक्ष्मण मस्तुरिया अउ खुमान लाल साव एक दूसर के...

लोक गायक महादेव हिरवानी के सांस्कृतिक संस्था “धरोहर” ह लोक संगीत के पुरोधा खुमानलाल साव अउ गीत के पुरोधा लक्ष्मण मस्तुरिया के सुरता म कन्हारपुरी, राजनाँदगाँव म “श्रद्धा-सुमन” के आयोजन करिस जेमा...

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बेरा के गोठ : फिलिम के रद्दा कब बदलही

आजकल जौन ला देखबे तौन हा फिलिम, सिरियल अउ बजरहा जिनिस बेचइया विज्ञापन करइया मनके नकल करेबर अउ वइसने दिखेबर रिकिम रिकिम के उदिम करत हे।सियान मन कहिते रहिगे कि फिलिम विलिम ला देखव झिन, ये समाज अउ...

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जल अमरित

पानी के बूँद पाके, हरिया जाथें, फुले, फरे लगथें पेड़ पउधा, अउ बनाथें सरग जस,धरती ल। पानी के बूँद पाके, नाचे लगथे, मजूर सुघ्घर, झम्मर झम्मर। पानी के बूँद पाए बर, घरती के भीतर परान बचाके राखे रहिथें...

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हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार उपन्यास सम्राट, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद

हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दीर भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान...

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रफी के छत्तीसगढ़ी गीत

रफी साहब….. हिंदी सनिमा जगत के बहुत बड़े नाम आय। जिंकर गुरतुर अउ मीठ अवाज के जादू के मोहनी म आज घलो जम्मो संगीत परेमी मनखे झूमरत रथे। उंकर अवाज के चरचा के बिना हिंदी सनिमा के गीत-संगीत के गोठ ह अधूरहा...

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सुरता : प्रेमचंद अउ गांव

मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित के अनमोल रतन आय। उंकर लिखे कहानी अउ उपन्यास आज घलो बड चाव से पढ़े जाथे। उंकर कहानी ल पढत रबे त अइसे लागथे जानो मानो सनिमा देखत हैं। उंकर कहानी के पात्र के हर भाव ल पाठक ह...

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किताब कोठी: आवौ भैया पेड़ लगावौ

छत्तीसगढ में बालगीतों का सृजन सबसे पहली बात तो यह कि बाल-गीत या कहें कि बालकों यानी बच्चों के लिए किसी भी विधा में लिखना ही अपने-आप में बडा चुनौती भरा काम है। लेकिन उन सबमें ‘बाल गीत’? इसके लिए गीतकार...

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नाग पंचमी के महत्तम

हमर भारत देस राज ह खेती-किसानी वाला देस हावय। याने हमर देस ह किरसी परधान देस हावय। नाग देवता ह किसान के एक परकार ले संगवारी ये, काबर के वो ह किसान के खेत-खार के रछा करथे। येखर कारन वोला छेत्रपाल कहे...

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महान लोकनायक अउ समन्वयवादी कबि गोस्वामी तुलसीदास

हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दील भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान...

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छत्तीसगढ़ के गारी -प्रतिकात्मक अभिव्यक्ति

हर मनखे के मन म सकारात्मक-नकारात्मक, सुभ-असुभ भाव होथे। मन के ये सुभ-असुभ बिचार हर समय पा के अभिव्यक्त होथे। जब परिवेस बने रहिथे तब बानी ले बने-बने बात निकलथे अउ जब परिवेस हर बने नइ राहय तब मुँहू ले...

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भोजली तिहार : किसानी के निसानी

हमर छत्तीसगढ़ देस-राज म लोक संसकिरीति, लोक परब अऊ लोक गीत ह हमर जीनगी म रचे बसे हाबय। इहां हर परब के महत्तम हे। भोजली घलो ह हमर तिहार के रूप म आसथा के परतीक हावय, भोजली दाई। भोजली ह एक लोक गीत हावय जेला...

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