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चंदैनी गोंदा, रामचंद्र देशमुख, लक्ष्मण मस्तुरिया अउ खुमान लाल साव एक दूसर के पर्याय

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लोक गायक महादेव हिरवानी के सांस्कृतिक संस्था “धरोहर” ह लोक संगीत के पुरोधा खुमानलाल साव अउ गीत के पुरोधा लक्ष्मण मस्तुरिया के सुरता म कन्हारपुरी, राजनाँदगाँव म “श्रद्धा-सुमन” के आयोजन करिस जेमा छत्तीसगढ़ के पचास ले आगर लोक मंच अउ उँकर कलाकार मन गीत अउ संगीत द्वारा अपन श्रद्धा सुमन प्रस्तुत करिन। कार्यक्रम के शुरुवात मा कर्मा भवन मा स्थित मंदिर म कर्मा माता के पूजा अर्चना होइस। तेखर बाद मंच मा खुमान लाल साव जी के फोटू मा उँकर बड़े बेटा चेतन साव, दाऊ दीपक चंद्रकार, अरुण कुमार निगम अउ पधारे पहुना मन फूलमाला चघा के दीया प्रज्ज्वलित करिन।

चेतन साव जी अपन उद्बोधन मा कहिन के सियान के बारे मा मोर ले ज्यादा इहाँ उपस्थित कलाकार अउ साहित्यकार मन जानथें। सियान के सुरता करत उँकर गला भरगे अउ ज्यादा नइ बोल पाइन। अर्जुन्दा ले आये लोकरंग के संस्थापक दाऊ दीपक चंद्रकार खुमान साव जी अउ मस्तुरिया जी ल श्रद्धा सुमन अरपित करके कहिन कि एमन छत्तीसगढ़ी भाखा अउ लोक संगीत ल जउन ऊँचाई म लेगिन हें ओला बनाए रखना उँकर प्रति सच्चा श्रद्धांजलि होही। आज काल कई झन अश्लील गीत लिखत अउ गावत हें। एला रोके बर परिही नइ ते हमर संस्कृति के पहिचान नँदा जाही। खासकर सरकारी आयोजन म कलाकार के मान-सम्मान नइ होवत हे। न मंच के ठिकाना, न मानदेय के, न खाए पीए के अउ न रुके ठहरे के बेवस्था डहर ककरो ध्यान रहिथे। दर्शक मन दारू पी के हंगामा करथें, कलाकार के सुरक्षा डहर कोनो गंभीर नइ हें। एखर यहू कारण हे कि कलाकार मन के कोनो संगठन नइये। सरकार ल दारुबन्दी करना चाही। कलाकार मन ल उचित मान सम्मान देना चाही।

छन्द के छ के संस्थापक अरुण कुमार निगम अपन वक्तव्य म कहिन कि चंदैनी गोंदा, रामचंद्र देशमुख, लक्ष्मण मस्तुरिया अउ खुमान लाल साव एक दूसर के पर्याय बन चुके हें। एक के चर्चा होही त बाकी तीनों के चर्चा होबे करही। उन बताइन कि 1999 मा जबलपुर मा दू कैसेट के रिकार्डिंग बर गे रहेन। रिहर्सल के दौरान लक्ष्मण मस्तुरिया जी कहे रहिन कि छत्तीसगढ़ के हर संगीतकार के संगीत मा खुमान के संगीत के झलक देखे बर मिलथे। बिना खुमान के संगीत के झलक के एको गाना नइ बनत हे। जइसे बंगाल मा रवींद्र संगीत के स्थापना होइस वइसने छत्तीसगढ़ म खुमान-संगीत ल स्थापित करना चाही। निगम जी श्रद्धांजलि – खुमानलाल साव स्मारिका मा सरला शर्मा के एक विचार ला रेखांकित करके कहिन कि खैरागढ़ संगीत विश्विद्यालय मा खुमानलाल साव जी के शोध पीठ के स्थापना होना चाही। 23 जून के कवर्धा म भोरमदेव साहित्य सृजन मंच द्वारा आयोजित वार्षिक अधिवेशन खुमानलाल साव जी ल समर्पित रहिस, उहाँ मुख्य अतिथि डॉ. मांडवी सिंह, कुलपति खैरागढ़ संगीत विश्व विद्यालय के सामने निगम जी इही मांग ला रखे रहिन कि खुमान-संगीत शोध पीठ के स्थापना विश्वविद्यालय म होना चाही। अपन उद्बोधन म मुख्य अतिथि डॉ. मांडवी सिंह, कुलपति खैरागढ़ संगीत विश्व विद्यालय घोषणा करे रहिन कि निगम जी के मांग बिल्कुल जायज हे अउ खैरागढ़ संगीत विश्व विद्यालय अपन डहर ले येखर बर जरूर प्रयास करही।

सब ले पहिली धरोहर में कलाकार मन के संग महादेव हिरवानी लक्ष्मण मस्तुरिया के लिखे अउ खुमान लाल साव के संगीतबद्ध करे अमर गीत “मँय छत्तीसगढ़िया अंव गा” प्रस्तुत करिन। तेखर बाद अनुराग धारा मंच के भगवती साहू “धनी बिना जग लागे सुन्ना” गा के अपन स्वरांजलि प्रस्तुत करिन। दुकालूराम साहू – तोला मोला सब ला जाना हे…, मनोहर यादव, बॉबी कलिहारी – तँय बिलसपुरहिन अस, विष्णु कश्यप – सुनो जगत के हाल, लता खापर्डे – तोला लागे झन ककरो नजर अउ ले चल रे ले चल मोटर वाला, निर्मला ठाकुर, चंपा गोस्वामी – फिटिक अंजोरी निर्मल छइयाँ, गली गली बगराये रे पुन्नी के चंदा, संतोष साहू – वारे मोर पंडकी मैना गीत प्रस्तुत करिन। लल्ला साहनी, सावित्री कहार, कुलेश्वर ताम्रकार अउ अनेक कलाकार मन अपन सुरीला प्रस्तुति देके खुमानलाल साव अउ लक्ष्मण मस्तुरिया जी ल अपन श्रद्धा सुमन अरपित करिन।

आयोजन मा श्री मधुसूदन (महापौर, नगर निगम, राजनाँदगाँव), संगीतकार गोविंद साव, तबलावादक राकेश साहू, संजय मेश्राम, साहित्यकार लखनलाल साहू अउ जम्मो छत्तीसगढ़ ले पधारे अनेक लोक कलाकार मन उपस्थित रहिन। भीड़ अतीक ज्यादा रहिस कि हाल खचाखच भरे रहिस अउ कई स्थानीय मन खड़े खड़े कार्यक्रम ल देखिन। धरोहर टीम अउ महादेव हिरवानी के अगुवाई म खुमानलाल साव अउ लक्ष्मण मस्तुरिया जी ल समर्पित कार्यक्रम के सुग्घर आयोजन बरसों सुरता करे जाही।

(अरूण कुमार निगम से चर्चा के आधार पर)

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