Quantcast
Channel: गोठ बात Archives - gurtur goth
Viewing all articles
Browse latest Browse all 391

किताब कोठी: आवौ भैया पेड़ लगावौ

$
0
0

छत्तीसगढ में बालगीतों का सृजन

सबसे पहली बात तो यह कि बाल-गीत या कहें कि बालकों यानी बच्चों के लिए किसी भी विधा में लिखना ही अपने-आप में बडा चुनौती भरा काम है। लेकिन उन सबमें ‘बाल गीत’? इसके लिए गीतकार को (या कहें कि बाल साहित्यकार को) उसी स्तर पर जाना पडता है। स्वयं को बालक बना लेना पडता है और तभी वह बालकों की जुबान पर आसानी से चढ जाने वाले गीत, कविता, कहानी, नाटक, एकांकी आदि का सृजन कर पाता है। यदि यह सब इतना कठिन नहीं होता तो आज बाल साहित्य का टोटा न होता | गिने-चुने ही तो हैं बाल साहित्यकार! और फिर छत्तीसगढी में…..? भाई बलदाऊ राम साहू जी ने छत्तीसगढी में बाल गीतों की रचना का जो ‘उदिम’ किया है, वह केवल स्वागतेय नहीं अपितु वरेण्य भी है। कारण, भाई
बलदाऊ जी ने इन गीतों की रचना&यात्रा के दौरान अपने-आप को बालक ही बना लिया है, तभी तो उनके लिये ऐसे ‘भाव-पूर्ण’ ही नहीं
अपितु ‘प्रभाव-पूर्ण’ बाल गीतों का सृजन सम्भव हो पाया है। उनके गीतों में जो ‘सीख’ है, वह किसी ‘बडे-बुजुर्ग’ की दी हुई नसीहत नहीं
है भाई, वह तो एक बालक के द्वारा अपने ‘सँगवारी’ के साथ साझा किया जाने वाला स्वानुभूत सत्य है।
– हरिहर वैष्णव


Chhattisgarhi Bal Geet, Baldau Ram Sahu.

The post <span>किताब कोठी: आवौ भैया पेड़ लगावौ</span> appeared first on गुरतुर गोठ .


Viewing all articles
Browse latest Browse all 391