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मोर इस्कूल के गनेस

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बच्छर बीत गे,फेर जब गनेस परब आथे तब पढ़ई के बेरा इस्कूल म बइठे गनेस के सुरता आ जाथे। दस दिन ले पढ़ई के संगेसंग भक्ति अऊ नाना परकार के आयोजन अंतस म समा के खुसी देथे।खपरा छानी वाला माटी के सरकारी मिडील इस्कूल, डेढ़ सौ के पढ़इया टुरी टूरा अऊ चार गुरुजी। सबो गुरुजी भक्ति भाव वाला तेमा एक गुरुजी नाचा पार्टी के पेटीमास्टर अऊ कलाकार जेकर देखरेख म गनेस के इस्थापना से बिसरजन तक के जम्मो भार राहय। बड़े गुरुजी के टेबल म दस दिन गनेस महराज के आसन राहय। बांस के कमचील ल टेबल के चार गोड़ म बांध के अऊ घर-घर ले अपन दाई के नवा लुगरा लानके चारो मुड़ा ढांक के आसन बनावन। आमापान के तोरन, सुवागत द्वार खंभा म बांधन। चिकमिकी कागज के सुन्दर फूल अऊ सजावट के जिनीस बनावन।गांव के पूजारी बबा इस्थापना करेबर आय अऊ पूरा बिधिबिधान ले इस्थापना करय। महराज के दक्छिना बड़े गुरुजी करय।बिहनिया के पूजा आरती के जिम्मा टूरी पारटी मनके राहय संझा के पूजा आरती टूरा मन करय।फूलपतरा इस्कूल म राहय।इस्कूल के गनेस ल दूनो जुवार खीरा के भोग लगय।बारी के खीरा टोर के लानन अऊ भोग लगावन।रातकन गनेस के रखवारी अऊ सूतेबर आठवीं कक्छा के चार लड़का के पारी राहय।रातकन गुरुजी हियाव करे आय।दस दिन बिहनिया इस्कूल लगे। रोजीना चार बिसय के पढ़ई, खाना छुट्टी,पाछू कार्यक्रम।आठ दिन तक खेलकूद, गीत कविता, भासन, चित्रकला,रंगोली के प्रतियोगिता होवय।



नउवा दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम राहय जेला देखे गांवभर के लोग लइका सियान सकलाय।दसवां दिन बिसरजन म गांव भर के गनेस के संग इस्कूल के गनेस ल घलो परघा के लेगय अऊ रैली म सामिल होवन।गांव के गड़वा बाजा म इस्कूल के टूरा टूरी बिधुन होके नाचन,ओ दिन गुरुजी के डर कहां लुकाजाय पता नई राहय। कभू कभू गरूजी मन घलो लइका संगेसंग नाचे लग जाय। सेवा पार्टी वाला मन भजन करत आगू-आगू ऊकर पाछू गांव के सार्वजनिक गनेस सबले पाछू गंड़वा बाजा संग इस्कूल के गनेस। ठाकुर तरिया म बिधिबिधान से पूजा करके बिसरजन होवय। बिसरजन के पाछू सब सुन्ना। इस्कूल म दू दिन तक मन नई लागय।आँखी ह गनेस के जगा ल खोजय।इस्कूल के गनेस के सुरता मोला एकर सेती अऊ आथे। एक बच्छर महुं अपन दाई के नवा लुगरा ल सजावट म लगायबर लेगे रहेंव। चौउथा दिन, रात म रखवारी अऊ सुते के पारी रीहिस। भात खाके संगवारी संग इस्कूल पहुंचेन,सबो मिलके सातझन रहेन।एक संगवारी बताइस गनेस के मुसवा जिन्दा होगे,मै ओ डाहर जावत देखेहंव।थोरकिन पाछू देखथन गनेस के आसन टेबल के खाल्हे म दिया असन जुगजुगात हावय।देखते देखत अंजोर बाढ़े लागिस। तीर म जाके देखेन त सजावट के लुगरा म आगी लगे हावय। तुरते कलस के पानी ल पांव परके उठाएन अऊ आगी ल बुताएन।मुसवा दिया के बाती ल तीरके लेगे रिहिस तेकरे ले ए अलहन होइस।बिहनिया गुरुजी ल बताएन।पता लागिस ए लुगरा मोर दाई के हरय।



मोर मुहुं नानकन होगे, का करवं भगवान। फेर भगवान पीरा के हरइया आय बिगड़े के बनइया आय, बड़े गरुजी ह घर म जाके बता दिस। दाई मोला कुछु नई कहिस।अइसने बिराजे हमर इस्कूल म गनेस।सबके सहयोग, एकता, कामबुता के भावन,उछाह के परछो दिखय लाला लाजपत राय के बिचार ह दिखय। जब मै गुरुजी बनेंव तब तीन बच्छर ले लइका संग मिलके गनेस ब इठाएंव फेर ओ मजा नई आइस जौन मोला अपन इस्कूल मा आय।आज तो डर लगे रथे इस्कूल मा गनेस बइठा देबो त कोन अधिकारी ह कब नोटिस थमा दिही कि काकर आदेस ले गनेस बइठाय हव अउ काबर ? पहली गनेस चउथ अउ बिसर्जन के दिन इस्कूल मा पढ़ाइच नई होवय। नोटिस निकल जाही बिसर्जन देखेबर लइका ला कोन भेजिस।छत्तीसगढ़ के कतको तिहार ल लइकामन एकरे सेती नइ जानय कि ऐला काबर मनाय जाथे।एकर बर सबो छत्तीसगढ़िया ल संसो करेबर लागही।

हीराडामिन साहू
hiradaminsahu@gmail.com


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