परशुराम
प्रकृति संभव हे, असंभव नइ हो सके, ओ ह सनातन रूप म ले चलत आवत हे अपनेच बनाए नियम रीत ले। फेर रिसीमुनी मन ओही म देवता ल खोजथे। ऋतु के देवता वरूण, मेघ के बरखा के देवता इन्र्न, ओखद (औशधि के अश्विनीकुमार,...
View Articleछत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पांचवा प्रान्तीय सम्मेलन
नेवता छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग पांचवा प्रान्तीय सम्मेलन ‘भगवान राजीव लोचन’ के दुवार राजिम म आयोजित (स्व.संत कवि पवन दीवान जी ल समरपित 28 अउ 29 जनवरी, 2017) प्रणम्य/मयारूक साहित्यकार भाई/बहिनी...
View Articleहेलमेट के भूत
हमर मइके रइपुर म नवा रहपुर बन गे हे, तेन ल तो तेहां जानत हस। टूरा के दाई ह अपन अउ अपन मइके के बढई सुनके खुस होगे। भला कोन माइलोगिन खुस नई होही। लडियावत कहिस- नवा रपुर बने ले कहां एको गे हंव मइके। मेहा...
View Articleसाहित्य म भ्रस्टाचार
हमर देस म कोनो छेत्र नइ बांचे हे जिंहा भ्रस्टाचार नइये। राजनीति म भ्रस्टाचार ह तो काजर के कोठी कस होगे हे। जेन राजनीति म जाथे वोकर उप्पर करिया दाग लगथेच। भ्रस्टाचार के पांव ह दूसर छेत्र म घलो पड गे...
View Articleपुरखा मन के दूत होथे कउवा
चालीस-पचास बछर पाछू के बात आय। ममा गांव जावंव त पीतर पाख म ममा दाई ह बरा- सोहारी बनाय अउ तरोई के पाना म ओला रख के मोहाटी म मडा देवय। तहान ले जोर-जोर से कहाय- ‘कउंवा आबे हमर मोहाटी, कउंवा आबे हमर...
View Articleनवा पीढ़ी़ अउ छत्तीसगढ़ी़
हमर छत्तीसगढ़़ म अभी जउन नवा पीढी के लइकामन पढ-लिख के तियार होवत हें तेन मन ह छत्तीसगढी़ भासा ले दूर भागत हें। वोमन छत्तीसगढी म बोले बर नई चाहंय। छत्तीसगढी भासा जउन ह हमर मातृ भासा ए, तेमा बोले बर...
View Articleस्कूल म ओडिसी .. पंथी, करमा काबर नहीं …?
छत्तीसगढ के जम्मो सरकारी स्कूल म पहली ले पाँचवी कक्षा तक पढईया लईका मन ला अब भाषा,गणित विज्ञान के अलावा ओडिसी नृत्य के घलो शिक्षा ले बर परही । ये नवा तुगलकी फरमान एन सी आर टी ह जारी करे हवय । ओकर कहना...
View Articleनवा बछर के आवभगत
अघ्घन अउ पूस के पाख चलत हे जेला सरमेट के अंगरेजी कलेंडर म दिसम्बर महिना कहे जाथे ! जब तक सुरुज निटोरही नही सहर भर जाड़ बरसत रइथे ! जाड़ के मारे ए मेर ल ओ मेर के मनखे मन सब गरम ओढ़ना मं दिखथैं !...
View Articleछत्तीसगढ़िया मन कहां हें ?
छत्तीसगढ़ राज सोनहा भुईयां हिरा बरोबर चमकत हे ! मयारू मैना के बासई ह मन ल हर लेथे , देखते-देखत म गोंदा, मोंगरा अऊ दौना के रंग अऊ महकई हर अंगना-दुआर ल पबरित कर देथे ! गांव-गांव गली-गली म लोक कला के...
View Articleदोसती
एक गांव म आगी लगे रिहीस । चारों कोती अफरा तफरी मच गे रिहीस । जे दऊड़ सकय , तेमन दऊड़ के अपन परान बचा लीन । असक्त अऊ कमजोर मन आगी म लेसाए बर मजबूर रिहीन । फेर एक झिन अइसे मनखे घला रहय , जे कहींच अंग ले...
View Articleछत्तीासगढ़ी म परथंम धर्म उपदेशक संत गुरू घासीदास
भारतीय इतिहास म 19वीं शताब्दी पुर्नजागरण के काल कहाथे। छत्तीासगढ़ म घलु इही काल के अलग पहिचान मिलथे। इतिहास कार मन के मुताबिक छत्तीिसगढ़ म कलचुरी राज 1000 ई. काल के तीर -तरवार ले सन् 1740 ई.तक माने...
View Articleमानव सेवा –देहदान : जरूरत अउ महत्ता
सरग इंहे, नरक इंहे । मरे के बाद कोन जीव कहाँ जाथे तेला कोनो नद जानय। बने करम करबे त ओकर सुख भोगे बर अउ घिनहा करम करबे त दु:ख भोगे बर इही भुइंया म फेर आना हे। सियान मन कहिथे के मरे के पहिली अइसन करम कर...
View Articleविचार के लहर : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! हमला हर काम ला बने सोच-विचार के करना चाही रे। कभू अपन विचार ला खराब नई होवन देना चाही। हमला हर परिस्थिति में अच्छा सोच-विचार...
View Articleकरम के डोरी : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! करम के डोरी हर बड़ मजबूत होथे रे। फेर हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। तइहा जमाना म जब ग्वाला हर गाय चराय बर जावय तब...
View Articleहोरी हे रिंगी चिंगी
रंग मया के डारव संगी फागुन के महिना रिंगी चिंगी रंगरेलहा अउ बेलबेलहा बरोबर हमर जिनगी मा समाथे। जिनगी के सुख्खा और कोचराय परे रंग मा होरी हा मया-पिरीत,दया-दुलार,ठोली-बोली,हाँसी-ठिठोली के सतरंगी रंग ला...
View Articleत्रिवेणी संगम म शाही स्नान के साथ राजिम महाकुंभ कल्प के होय समापन
बिहनिया साधु-संत मन के निकली भव्य शोभा यात्रा धर्मस्व मंत्री श्री अग्रवाल ह संगम म लगाईस डुबकी साधु-संत मन संग शोभा यात्रा मं होइस सामिल रायपुर, 25 फरवरी 2017। छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम मं महानदी,...
View Articleदारु भटठी बंद करो
बसंती ह अपन गोसइन बुधारू ल समझात रहिथे के – तेंहा रात दिन दारू के नशा में बुड़े रहिथस।लोग लइका घर दुवार के थोरको चिंता नइ करस ।अइसने में घर ह कइसे चलही ।दारू ल छोड़ नइ सकस ? बुधारू ह मजाक में कहिथे –...
View Articleसंगवारी के पंदोली
नानपन के संगवारी आय कुंवरसिंह अऊ नरोत्तम ।कुंवर सिह मन चार भाई होथे जेमा अपन तीसर नम्बर के आवय। ददा के किसानी जादा नई राहय जेकर सेती ओमन आघू पढ़े नई सकीन अऊ किसानी के बुता म धियान लगाईंन। ददा ह संग ल...
View Articleसीख : एक लोटा पानी
मोनी! तोर बबा ल एक लोटा पानी दे दे ओ। कुरिया बाहरत दाई ह अपन बारा बच्छर के बेटी ल हांक पारिस। लइका दाई के रेरी ल कान नई धरिस अऊ खोर म जाके बईठ के मोबाइल म गेम खेलत रहिगे। एती खटिया म सूते बबा घेरी बेरी...
View Articleबजरहा होवत हमर तीज तिहार
छत्तीसगढ़ म आठोकाल बारो महिना कोई न कोई तिहार आते रथे। चइत, बइसाख , जेठ, अषाढ़, सावन ,भादो, कुंवार, कातिक, अग्घन ,पूस ,मांग, फागुन सबो महिना हमन तीज तिहार मनाथन। हमर पुरखा मन काम काज ले फुरसुद अऊ मगन...
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