जड़कला मा रउनिया तापव
अइसे तो जड़कला हा कुँवार महिना से सुरु हो जाथे अउ पूस ले आगू तक रहिथे। कातिक महिना ले मनखे मन रउनिया लेय के घलाव सुरु कर देथे। अग्हन अउ पूस महिना मा कड़कड़ाती जाड़ लागथे।ये महिना मा सूरुज देव अपन गर्मी ला...
View Articleअगहन बिरसपति –लक्ष्मी दाई के पूजा अगहन बिरसपति
हमर हिन्दू पंचांग में अगहन महीना के बहुत महत्व हे। कातिक के बाद अगहन मास में गुरुवार के दिन अगहन बिरस्पति के पूजा करे जाथे । भगवान बिरस्पति देव के पूजा करे से लक्ष्मी माता ह संगे संग घर में आथे। वइसे...
View Articleसेहत के खजाना –शीतकाल
हमर भारत भुईयाँ के सरी धरती सरग जइसन हावय। इहां रिंगी चिंगी फुलवारी बरोबर रिती-रिवाज,आनी बानी के जात अउ धरम,बोली-भाखा के फूल फूले हावय। एखरे संगे संग रंग-रंग के रहन-सहन,खाना-पीना इहां सबो मा सुघराई...
View Articleभुइंया के भगवान बर एक अऊ भागीरथ चाही
ये संसार म भुइंया के भगवान के पूजा अगर होथे त वो देस हाबय भारत। जहां भुइंया ल महतारी अऊ किसान ल ओखर लईका कहे जाथे। ये संसार म अन्न के पूरती करईया अन्नदाता किसान हे। हमन इहां उत्तम खेती,मध्यम...
View Articleपरंपरा –अंगेठा आगी
परदेशी अब बुढ़वा होगे।69 बच्छर के उमर माे खाँसत खखारत गली खोर मा निकलथे। ये गाँव ला बसाय मा वोहा अपन कनिहा टोरे रहिस। पहाड़ी तीर के जंगल के छोटे मोटे पउधा मन ला काट के खेत बनाय रहिस। डारा पाना के छानी मा...
View Articleअपन भासा अपन परदेस के पहचान
संपादक ये आलेख के लेखक के ‘प्रदेश’ शब्द के जघा म ‘परदेस’ शब्द के प्रयोग म सहमत नई हे। अइसे हिन्दी के अपभ्रंश शब्द मन जउन पहिली ले प्रचलित नई ये ओ मन ल बिना कारन के बिगाड़ के लिखई अर्थ के अनर्थ करना...
View Articleबाबा गुरु घासीदास के सब्बे मनखे ल एक करे के रहिस हे विचार मनखे मनखे एक समान
हमर बाबा गुरु घासीदास दास के सबले बड़े विचार रहिस हे के सब्बो मनखे एक समान हरे कोनो म भेद भाव ऊंचा नीच के भावना झन रहे तेखरे बर अपन जियत भर ले सब्बो मनखे ल जुरियाये के परयास बाबा गुरुघासीदास ह करिस।...
View Articleसत अउ अहिंसा के पुजारी गुरु घासीदास
गुरु घासीदास छत्तीसगढ़ राज मा संत परम्परा के एक परमुख संत आय। सादा जीवन उच्च विचार के धनवान संत गुरु घासीदास छत्तीसगढ़ राज ला नवा दिसा दिस अउ दसा ला सुधारे बर सरलग बुता करिन अउ अपन सरबस लुटादिन। जीवनी:-...
View Articleबाबा घासीदास जयंती –सतनाम अउ गुरु परंपरा
गुरु परंपरा तो आदिकाल से चलत आवत हे। हिन्दू धरम मा गुरु परंपरा के बहुत महिमा बताय हे।गुरु के पाँव के धुर्रा हा चंदन बरोबर बताय हे , प्रसाद अउ चरणामृत के महिमा ला हिन्दू धरम मा बिस्तार से बरनन करे...
View Articleसतनाम पंथ के संस्थापक संत गुरूघासीदास जी
छत्तीसगढ़ राज्य के संत परंपरा म गुरू घासीदास जी के इस्थान बहुत बड़े रहि से। सत के रददा म चलइया, दुनिया ल सत के पाठ पढ़इया अउ मनखे-मनखे के भेद ल मिटइया। संत गुरूघासीदास जी के जीवन एक साधारन जीवन नइ रहिस।...
View Articleगढ़बो नवा छत्तीसगढ़
हमर छत्तीसगढ़ ल बने अठारह बछर पुर गे अउ अब उन्नीसवाँ बछर घलोक लगने वाला हे, अउ येही नवा बछर म हमर छत्तीसगढ़ राज म नवा सरकार के गठन घलोक होये हे येही नवा सरकार बने ले सब्बो छत्तीसगढ़िया मन के आस ह नवा...
View Articleमोला करजा चाही
पाछू बच्छर दू बच्छर ले करजा के अतेक गोठ चलत हे कि सुन-सुन के कान पिरागे हे।फलाना के करजा,ढेकाना के करजा।अमका खरचा करे बर करजा।ढमका खरचा बर करजा।राज के करजा।सरकार के करजा।किसान के करजा।मितान के करजा।...
View Articleनंदावत हे अंगेठा
देवारी तिहार के तिर मा जाड़ हा बाढ जाथे, बरसात के पानी छोड़थे अउ जाड़ हा चालू हो जाथे। फेर अंगेठा के लइक जाड़ तो अगहन-पूस मा लागथे। फेर अब न अंगेठा दिखे, न अगेठा तपइया हमर सियान मन बताथे, पहिली अब्बड़ जंगल...
View Articleयुवा दिवस 12जनवरी बिसेस
“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत” “उठव, जागव अउ लक्ष्य पाय के पहिली झन रुकव” भारत भुँइया के महान गौरव स्वामी विवेकानंद के आज जनम दिन हरय। स्वामी जी के जनम 12 जनवरी सन् 1863 के कलकत्ता (अब कोलकाता)...
View Articleठगही फेर सकरायेत
कहे क्रांति कबिराय, नकल ले झन धोका खाना कोलिहा मन ह ओढ़े हावंय, छत्तीसगढ़िया बाना। मीठ-मीठ गोठिया के भाई, मूरुख हमला बनाथे बासी चटनी हमला देथे, अउ काजू अपन उड़ाथे। बाहिर म बन शेरखान, बिकट बड़ाई अपन बतावै...
View Articleछत्तीसगढ़ म दान के महा परब छेरछेरा
ये संसार म भुइंया के भगवान के पूजा अगर होथे त वो देस हाबय भारत। जहां भुइंया ल महतारी अऊ किसान ल ओखर लईका कहे जाथे। ये संसार म अन्न के पूरती करईया अन्नदाता किसान हे। हमर छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे...
View Articleपीपर तरी फुगड़ी फू
समारू बबा ल लोकवा मारे तीन बछर होगे रिहिस, तीन बछर बाद जब समारू बबा ल हस्पताल ले गांव लानीस त बस्ती भीतर चउक में ठाड़े पीपर रुख के ठुड़गा ल कटवत देख के, सत्तर बछर के समारू के आँखी कोती ले आँसू ढरक गे।...
View Articleकहाँ गँवागे मोर माई कोठी
“पूस के महीना ठूस” कहे जाथे काबर के ये महीना में दिन ह छोटे होथे अउ रात ह बड़े।एहि पूस महीना के पुन्नी म लईका सियान मन ह बड़े बिहनिया ले झोला धर के घर-घर जाथें अउ चिल्ला चिल्ला के कहिथे छेर-छेरा अउ माई...
View Articleसियान मन के सीख : ए जिनगी के का भरोसा
सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! ए जिनगी के का भरोसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। लइकई उमर से ले के सियानी अवस्था तक मनखे के रूप रंग हर...
View Articleनवा चाउर के चीला अउ पताल के चटनी
सियान मन के सीख सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा ? नवा चाउर के चीला अउ पताल के चटनी अबड़ मिठाथे रे। फेर हमन नई मानन। संगवारी हो हमर छत्तीसगढ़ राज ला बने 18 बछर हो गे। ए 18...
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